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संसार एक भवसागर है जिसका एक किनारा जीवन और दूसरा मृत्यु है- आचार्य अनंत दास

इटारसी। मनुष्य देह केवल ईश्वर की प्राप्ति के लिए मिला है यह संसार एक भवसागर है जिसका एक किनारा जन्म और दूसरा किनारा मृत्यु है इस भवसागर से पार करने का एक ही साधन है वह है श्रीमद् भागवत की कथा। उक्त उद्गार श्रीधाम वृन्दावन से आए संत आचार्य अनंत दास महाराज ने इटारसी के द्वारकाधीश मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा चतुर्थ दिवस में व्यक्त किए।

कथा को विस्तार देते हुए आचार्य अनंत दास महाराज ने जड़ भरत संवाद का सुंदर चित्रण करते हुए कहा कि जड़ भरत का एकछत्र सम्राट होते हुए भी अपने राज्य और ऐश्वर्या का त्याग कर दिया लेकिन एक हिरण के बच्चे में मन लगने से उनके तीन जन्म खराब चले गए हम सब को यह जीवन प्रभु की कृपा से मिला है इस जीवन को श्री ठाकुर जी की सेवा में ही लगाना चाहिए कथा के मध्य में महाराज श्री ने श्री राम जन्म का अद्भुत वर्णन करके द्वारकाधीश मंदिर को श्रीधाम अयोध्या में परिणत कर दिया राम नाम के जयकारों से पूरा मंदिर गुंजायमान हो गया। भगवान श्री कृष्ण के जन्म के अवसर पर सम्पूर्ण पांडाल नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के गगन भेदी नारो से गुंजायमान हो गया। कथा के विश्राम के अवसर पर भक्तो को प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर श्रीमती माया मालवीय, सुनीता तिवारी, शशि मेहरा, विमला राजपूत, कविता गौर, दीपा चौरे ,कान्यकुब्ज ब्राह्मण महिला मंडल की समस्त सदस्य सहित अध्यक्ष अनुराधा शर्मा, उपाध्यक्ष कुसुम तिवारी, सचिव अनीता तिवारी सहित भारी संख्या में कृष्ण भक्त मौजूद थे।

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